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Dr. Venu Govindaraju, PhD

Discovery of Self is a collection of pieces reflecting the delight of my childhood in India, the influence of my family and faith, and Indian philosophy. The hallmark moments that I reflect on and continue to lean into, provide direction and peace in my journey of life. My poems illustrate my own personal strivings and pursuits of a life well lived – and the successes and challenges in doing so.

ABOUT ME

Expert in AI

I am a Distinguished Professor of Computer Science and Engineering, an expert in the arena of Artificial Intelligence, and Vice President for Research and Economic Development at the University at Buffalo, a flagship institution of the State University of New York system. I hold six patents, and have authored seven edited books in my field. My family roots are in Vijayawada, India, where I was born. I graduated from IIT Kharagpur in Computer Science before earning a master's degree and PhD from the University at Buffalo. Throughout my life, I have had a deep appreciation for – and desire to learn and gain guidance from – Indian philosophy and faith. My poetry is a reflection of that pursuit.

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Discovery of Self - स्वयं की खोज

Table of Contents

प्रो. वेणु गोविंदराजु की पृष्ठभूमि

प्रो. वेणु गोविंदराजु, जो वर्तमान में न्यूयॉर्क राज्य विश्वविद्यालय में शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान प्रणाली का नेतृत्व कर रहे हैं, का जन्म 1964 में भारत के आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध नगर विजयवाड़ा में हुआ था।

शैक्षिक यात्रा

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत जेवियर स्कूल, रांची, बिहार में पूरी की, आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और न्यूयॉर्क राज्य विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रभाव

बाल्यकाल से ही प्रो. गोविंदराजु को भारतीय संस्कृति के अध्येताओं के कृतियों के श्रवण, अध्ययन, मनन, और विश्लेषण में गहरी रुचि थी। इस रुचि के कारण उनका लेखन अध्यात्म की ओर उन्मुख हो गया। समकालीन कवियों और श्रोताओं से उन्हें हमेशा प्रोत्साहन मिला।

आध्यात्मिक रुचियाँ और लेखन

प्रो. गोविंदराजु श्री विद्या परंपरा के अनुयायी हैं। वे मानते हैं कि सनातन धर्म और दर्शन के सभी ग्रंथ एक ही सत्य का वर्णन विभिन्न विधियों से करते हैं, इस कारण उनकी वेदांत में गहरी निष्ठा है।

भारतीय दार्शनिकों और कवियों का प्रभाव

उनकी रचनाओं में भारतीय दार्शनिकों और कवियों के विचारों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जो अक्सर आध्यात्मिकता और आत्म-खोज के विषयों को दर्शाते हैं।

विषय और प्रेरणाएँ

संग्रह “स्वयं की खोज” उनकी कविताओं का प्रतिनिधि संकलन है, जो तीन वर्गों में विभाजित है। प्रत्येक वर्ग विभिन्न आध्यात्मिक और व्यक्तिगत जीवन के पहलुओं पर केंद्रित है।

संग्रह की संरचना

कविताओं को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है: भगवद गीता और वेदांत पर चिंतन, व्यक्तिगत और पारिवारिक प्रभाव, और संस्कृत पद्य।

संत कबीर से प्रेरित कविताएँ

प्रथम वर्ग में 42 कविताएँ हैं जो भगवद गीता और वेदांत के मुख्य विचार-बिंदुओं को दर्शाती हैं। ये कविताएँ संत कबीर के निर्गुण भजन से प्रेरित हैं।

जागरूकता और भक्ति के विषय

इस वर्ग में तीन मौलिक आयामों का मिश्रण है: चेतावनी और जागरूकता, भक्ति, और आत्मविचार।

आध्यात्मिक प्रश्नों की खोज

कुछ कविताएँ आध्यात्मिक प्रश्नों को उठाती हैं और सनातन संस्कृति के ऋषि-मुनि द्वारा विचार-विमर्श से निर्णय या समाधान को भी सूचित करती हैं।

आत्म-साक्षात्कार का महत्व

मूल तत्व यह है कि जीवन का लक्ष्य तब तक दृढ़ता के साथ नहीं समझ सकते, जब तक हम स्वयं के असली रूप को नहीं पहचान लेते हैं। भगवान रमण महर्षि ने हाल ही में सर्वोच्च संत के रूप में उपनिषदों और समस्त अध्यात्म ज्ञान को एक ही प्रश्न में समेट लिया – मैं कौन?

परिवार के सदस्यों को समर्पित कविताएँ

दूसरे वर्ग में 18 कविताएँ हैं जो प्रो. गोविंदराजु के निजी परिवार के संदर्भ से प्रभावित हैं।
“ललिता”
पाँच भाइयों के बीच उनकी बहन पर लिखी कविता है, जिसमें उसके मधुर कंठ से कृष्ण भगवान के गीतों का गायन और उसके पति की वेदांत के गूढ़ तत्वों पर पकड़ का परिचय है।
“पद्मा”
पद्म पुष्प सनातन संस्कृति में सौंदर्य, सात्विकता, और दैवी गुणों का प्रतीक है। “पद्मा” कविता का यही आधार है।
“स्मितमुखी”
उनकी माँ की हँसमुख प्रवृत्ति की सराहना है, जो चुटकुले सुनने की शौकीन थीं।
“कृष्णकृपा”
इस कविता में उनके घर के एक सामान्य दिन की गतिविधियों का विवरण है।
“देवी”
इस कविता में उनकी माँ की आध्यात्मिक जीवन और अंतिम समय के कठिन हाल का वर्णन है।
“बापू”
इस कविता में उनके पिताजी के व्यक्तित्व की व्याख्या है, जिसमें गांधीजी की झलक साफ है। इसमें उनके छोटे भाई का वह आँखों देखा घटना वृत्तांत है, जब उनके पिताजी ने अकेले छात्रों के उत्तेजित समूह को शांत किया था।
“माँ कहे”
इस कविता में उनकी माँ के अनमोल प्रवचन हैं जो अपने संतानों को संबोधित हैं।

पारिवारिक मूल्य और संबंधों का चित्रण

कविताएँ प्रो. गोविंदराजु के परिवार की मूल्यों और संबंधों का चित्रण करती हैं, जो उनके जीवन और कार्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

प्रार्थना और आशीर्वाद का उद्देश्य

तीसरे वर्ग में छह संस्कृत कविताएँ हैं, जिनका उद्देश्य प्रार्थना और आशीर्वाद याचना है।

देवी-देवताओं और गुरुओं को समर्पित कविताएँ

अष्टक शैली में प्रस्तुत ये कविताएँ देवी-देवताओं और गुरुओं को समर्पित हैं।
“राज्य लक्ष्मी”
यह कविता उनके माता-पिता की जीवनी पर आधारित है।
“पूर्णचंद्रचरित”
यह कविता भी उनके माता-पिता की जीवनी पर आधारित है।
“अमृतानंद लहिरी”
यह कविता उनके दीक्षा गुरु को श्रद्धांजलि समर्पित है।

प्रमुख विषयों का सारांश

“स्वयं की खोज” प्रो. गोविंदराजु की आध्यात्मिक यात्रा और भारतीय संस्कृति, दर्शन, और व्यक्तिगत जीवन पर उनके विचारों का सार प्रस्तुत करता है।

साहित्य और अध्यात्म में प्रो. गोविंदराजु का योगदान

अपनी कविताओं के माध्यम से, प्रो. गोविंदराजु भारतीय संस्कृति और दर्शन का देश-विदेश में सफल प्रतिनिधित्व करते हैं।

पुस्तक में वेदांतिक अनुभूतियों का सुंदर समाकलन हुआ है और संस्कृत में रचित कतिपय श्लोकों की रचना में आर्ष धर्म के प्रति कवि की श्रद्धा दर्शित है ।

जगद्गुरु श्री शंकराचार्य स्वामिगल, कांचीपुरम, तमिल नाडू, भारत

हमारे देश की सर्वप्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान आई आई टी खड़गपुर से स्नातक, कवि वेणु गोविन्दराज़ु ने सहजता से विज्ञान एवं आध्यात्मिकता से प्रभावित प्राचीन मान्यताओं में संतुलन बनाए रखने का भागीरथ प्रयास किया है ।

परम पूज्य गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद महाराज जी

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(पूजा का अर्थ)
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